Wednesday, May 21, 2008

संदीप

NDTV के वरिष्ठ पत्रकार संदीप भूषण मुझे किसी फिल्मकार की कल्पना के पत्रकार लगते हैं. चेहरा-मोहरा, हाव-भाव, अंदाज़, पहनावा, चाल-ढाल सब कुछ वैसा जैसा अगर रंग और ब्रुश लेकर हम एक पत्रकार को ड्राइंग शीट पर बनाने बैठें. इससे हटकर कुछ ऐसा भी जो दिखलाने में रंग और ब्रुश नाकाफी हों; मसलन उनकी चिंताएं और सरोकार. वो अपनी सादगी पर ख़ुद आत्ममुग्ध नहीं हैं, अपनी इमानदार बेचैनी पर ख़ुद नहीं मर मिटे हैं. यही ख़ास है संदीप में.

News room में उनसे बासो पर बात हुई, बच्चों के लिए लाइब्रेरी शुरू करने पर चर्चा हुई तो उन्होंने उसका स्वागत किया. अपनी हामी उन्होंने अपने सहयोग से दी. वो अपने बेटे रुद्र की कहानी की किताबों का खजाना उठा लाये. एक से एक कहानियां. सिंदबाद जहाजी से लेकर, पंचतंत्र की चुनिंदा कहानियों तक. पहली लाइब्रेरी शुरू हुई तो सबसे ज्यादा हिट रुद्र का संकलन ही रहा.

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