ये है गिरिजेश भाई का शहद में डूबा ख़त। ताजा और गरमा गरम। गिरिजेश भाई बहुत ही शौकीन, गुणी, सहज और सुरीले पत्रकार हैं। गिरिजेश रिश्ते में बासो की धाय माँ भी हैं। उनका पहला पोस्ट पेश है -
"ज्ञान का बोझ मत कहिए। व्यंग्य सा लगता है। आपके हाथ तो किताबों के बोझ से दुख रहे हैं, और ईश्वर करे ये बोझ बढ़ता ही चला जाए।बासो का सपना जितना खूबसूरत और अनूठा है, इसकी शुरुआत की कहानी भी उतनी ही प्यारी है। ढेर सारी बधाइयां। बासो के लिए मेरी लाइब्रेरी में भी कुछ किताबें हैं, कैसे पहुंचाऊं?"
Tuesday, May 6, 2008
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